अछूत कौन थे और वे अछूत कैसे बने। (Achhoot Kaun The Aur Ve Achhoot Kaise Bane) [Hardcover](Hardcover, अनुवादक-मीना रूंगटा- राम सिंघानिया (Anuvadak-Meena Rungta-Ram Singhaniya))
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पुस्तक के बारे में:- यह पुस्तक महान सुधारवादी, दूरदर्शी और भारतीय संविधान के जनक डॉ. बी आर अम्बेडकर का पहला हिंदी संस्करण है। उनके पास ज्ञान का खजाना था जिसका उपयोग उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के संविधान को बनाने में किया। उनकी एक पुस्तक “द अनटचेबल्स” जो मूल रूप से वर्ष 1948 में प्रकाशित हुई थी, पुनः पाठकों के सामने उसी प्रारूप और शैली में है जिसमें वह मूल रूप से प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक निम्नलिखित अध्यायों - गैर-हिंदुओं के बीच अस्पृश्यता, हिंदुओं के बीच अस्पृश्यता, आवास की समस्या, अस्पृश्यता की उत्पत्ति के पुराने सिद्धांत, नए सिद्धांत, और कुछ कठिन प्रश्न, अस्पृश्यता और इसकी तिथि आदि से संबंधित है। भीमराव अंबेडकर (1891-1956) भारतीय संविधान के निर्माता थे। वह एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और एक प्रख्यात न्यायविद थे। अस्पृश्यता और जाति-बंधनों जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने में अम्बेडकर का प्रयास उल्लेखनीय था। इन्होंने अपने पूरे जीवन में दलितों और अन्य सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। मरणोपरांत वर्ष 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। विश्व के इतिहास, राजनीति और समाज के अधिकांश रहस्य ऐसे हैं जिन्हें छिपा दिया गया है और जिनको लेकर जनसामान्य में व्यापक भ्रम फैला हुआ है। इन जानकारियों को हिन्दी के पाठकों तक पहुंचाने के उद्देश्य से मैं सन् 2018 से विभिन्न अंग्रेजी लेखों और सुविख्यात ब्लॉग्स का हिन्दी अनुवाद करता रहा हूँ जिन्हें पाठकों ने बहुत पसंद किया है। हर्ष का विषय है कि मुझे डॉ भीमराव अंबेडकर के आख्यानों के इस प्रसिद्ध संकलन को हिंदी में प्रस्तुत करने का अवसर मिला। इसमें मैंने लेखक के विचारों को ज्यों का त्यों रखने का पूर्ण प्रयास किया है। आशा है, पाठक इसे पसंद करेंगे। सधन्यवाद राम सिंघानिया । साहित्य में संचित ज्ञान का कोष भाषा-विशेष में बँधा न रह जाए इसके लिए अनुवाद की कला का विकास हुआ। मैंने संस्कृत, हिन्दी और मैथिली भाषाओं में अनेकानेक कहानियों, निबंधों और संतों के प्रेरणादायी प्रवचनों के अनुवाद किए हैं। मेरे लिए यह अपार हर्ष का विषय है कि मुझे डॉ भीमराव अंबेडकर के आख्यानों के इस संस्करण का अनुवाद करने का अवसर मिला। आशा है पाठकों को यह पुस्तक पढ़कर मूलकृति पढ़ने जैसा ही आनंद आएगा।